Friday, February 21, 2020

Bedbug-Sanskrit puzzle

|| *ॐ* ||
         " *सुभाषितरसास्वादः* "
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       " *प्रहेलिका* " ( कूटप्रश्न)  (९३ )
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 *श्लोक*---
 " रागी  भिनति  निद्रां  तल्पं  जहाति  निष्ठुरं  न  दशति ।
    चतुरे  किं  प्राणेशो  नहि  नहि  सखि  मत्कुणव्रातः " ।।
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*अर्थ*---
चतुर  स्त्रिये ,  अनुरक्त  होकर  रात्रि  की  निद्रा  भंग  करनेवाला , बिछानेपर  घुमनेवाला , निष्ठूर नही  किन्तु  काटकर  उत्तेजित  करनेवाला  क्या  यह  तेरा  प्रियकर  है ?
नहि  नहि  वह  तो  खटमलों ( ढेकुण) का  समूह  है । 
  😀😅😀😅🤣🤣
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*गूढार्थ*----
खटमल  और  प्रियकर  इनके  वैशिष्ट्य  में  का  साम्य  ध्यान  में  रखकर  प्रस्तुत  श्लोक  की  रचना  की  गयी  है ।
रागी= अनुरागी और  रक्तवर्णी ।  
खटमल  रक्त  पीकर  तांबडा  हो  जाता  है ।
 तल्प= बिछाना और  पत्नी ।
खटमल  रक्तपिपासू  होने  के  कारण  रात  में  काटकर  निंद  ख़राब  करता  है ।  और  बिछाना  यह  उसका  कार्यक्षेत्र  है , उसके  उपर  वह  घुमता रहता  है वही  उसका  कार्यक्षेत्र  है ।  निष्ठूरता  उसका  स्वभावधर्म  नही  है।
 किन्तु  रक्त  पीने  के  लिए  वह  मनुष्य  के  शरीर  को  काटता  है ।
है  न  संस्कृत  साहित्य  की  गंमंत  ??????
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ.  वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे /   महाराष्ट्र 
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