Friday, January 31, 2020

Sanskrit Puzzle

|| *ॐ* ||
              " *सुभाषितरसास्वादः* "
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              " *अन्तरालापाः* " ( ६६ )
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*श्लोक*----
    " का  शैलपुत्री  किमु  नेत्ररम्यं  शुकार्भकः किं  कुरुते  फलानि ।
      मोक्षस्य  दाता  स्मरणेन  को  वा  गौरीमुखं  चुम्बति  वासुदेवः ।। "
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*अर्थ*----
  पर्वत  की  कन्या  कौन ?  नेत्र  को  रमणीय  ऐसा  क्या  है ?  तोते  का  पिल्लू  फल  को  क्या  करता  है ?  केवल  स्मरणसे  मोक्ष  देनेवाला  कौन  है ?  इन  चारो  प्रश्नों  के  उत्तर  चौथे  चरण  में  है । और  उसका स्वतंत्र  अर्थ  ऐसा  निकल  रहा  है  कि , वासुदेव  पार्वती  के  मुख  का  चुम्बन  ले  रहा  है ।  यह  अर्थ  तो  भलता  ही  हो  गया ।
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*गूढ़ार्थ*-----
१- पर्वत  की  कन्या-- पार्वती ( गौरी )।
२-- ऑखों  को  रमणीय  क्या -- सुन्दर  मुख ।
३--- तोते  का  पिला  फल  को  क्या  करता  है --- चोंच  से  धीरे-धीरे  खाता  है ( चुम्बति )।
४---- केवल  स्मरणसे  मोक्ष  देनेवाला कौन है--- वासुदेवः( श्रीकृष्ण  )
अब  चौथा  चरण  पुरा  हो  गया ।
हमारे  सुभाषितकार  की  कमाल  है  न ?
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डाॅ .  वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे /   महाराष्ट्र 
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