Wednesday, January 8, 2020

Importance of reading grammar- sanskrit Subhashitam

|| *ॐ* ||
                    " *सुभाषितरसास्वादः* "
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               " *वैयाकरण--प्रशंसा* " ( ५० )
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*श्लोक*----
  " यद्यापि  बहु  नाधीषे  तथापि  पठ  पुत्र  व्याकरणम् ।
     स्वजनः श्वजनो  मा  भूत्  सकलं  शकलं  सकृत्  शकृत् "।।
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*अर्थ*---
एक  व्याकरण  का पंडित , एक  पिता  अपने  पुत्र  को  व्याकरण  का  महत्व  बता  रहा  है -- हे  पुत्र! तुम  ज्यादा  नही  पढ़े  तो  भी  चलेगा ।  किन्तु  व्याकरण  अवश्य  पढ ।  क्यों  कि  जिस व्यक्ति  को  व्याकरण  ज्ञान  नही  होगा  वह  कैसे  अर्थ  का  अनर्थ  करता  है  ये  देखो ।
संस्कृत  शब्द  ' स्वजन' ( अपना  मनुष्य ) इस  शब्द को अगर  गलतीसे 
' श्वजन ' ऐसा  लिखा  तो उसका  अर्थ  होता  है  कुत्ता ।  वैसे  ही  ' सकल ' शब्द  भी जिसको व्याकरण  का ज्ञान  नही  उसने  ' शकल ' ऐसा  लिखा  तो  उसका  अर्थ  होता  है  ' टुकडा ' और  ' सकृत '( एक  बार )  की  जगह  
 ' शकृत '  लिख  दिया  तो  उसका  अर्थ  होगा ' गोबर ' ( शेण ) ।
यह  अनर्थ  टालने  के  लिए  व्याकरण  अवश्य  पढना  चाहिए ।
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*गूढ़ार्थ*-----
  स्व और  श्व  के  फरकसे  स  और  श  के  भेद  से  और  सकृत  और  शकृत  में  तो  दरीसादृश्य  अंतर  है ।  ऐसी  गलती  लिखने  में  और  बोलने  में  की  तो  क्या  होगा  ?  आप  ही  सोचकर  देखिए ।
इसलिए  किसी  भी  भाषा  पर  प्रभुत्व  के  लिए  उस  भाषा  का  व्याकरण  अच्छे  से  आना  बहुत जरूरी  है । यही  सुभाषितकार  ने  हमे  समझाया  है ।
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /  महाराष्ट्र  
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