Thursday, January 2, 2020

Conch & Lakshmi - Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
                     " *सुभाषितरसास्वादः* "
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                    " *दैवाख्यानम्* "  ( भाग्याविषयी ) ( ४९ )
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  " पिता  रत्नाकरो  यस्य  लक्ष्मीर्यस्य  सहोदरी ।
      शंखो  रोदिति  भिक्षार्थी  फलं  भाग्यानुसारतः " ।। ( वृद्धचाणक्यशतकम् )
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*अर्थ*----
शंख  का  पिता  रत्नों  की  खाण  समुद्र  और  लक्ष्मी  जो  धन  की  देवी है।
वह  उसकी  बहन ।  किन्तु  शंख  के  नसीब  में  भिक्षा  मांगना  लिखा  है ।
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*गूढार्थ*----
समुद्रमंथन  से  लक्ष्मी  और  शंख  दोनो  का  जन्म  हुआ  है । किन्तु  शंख  का  भाग्य  देखिए  उसे  घर --घर  जाकर  भिक्षा  मांगनी  पडती  है । पुराने काल  में  भिक्षुक  शंख  बजाकर  भिक्षा  मांगते  थे ।
 बहन  धन  की  देवी   होने  के  बाद  भी  भाई  भिक्षुकों  के  साथ  घर--घर  हिंडता  है ।  अपना--अपना  भाग्य  और  क्या ?
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे /   महाराष्ट्र 
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