ॐ
।।सुभाषित रसास्वाद।।(३१)
-----------------------------------------------------------------
"अन्तरालापाः"( प्रश्न और उसका उत्तर )
संस्कृत काव्य में अन्तरालाप ये भी एक रंजक और मजेदार प्रकार है ।
एक श्लोक के चार चरण ( विभाग) रहते है । उसमें पहले तीन चरण में प्रश्न रहते है । और चौथे चरण में पहले तीन प्रश्न के उत्तर रहते है। और चौथे चरण को अलग से पढा तो , उसका अर्थ उपहासगर्भ तथा मजेदार निकलता है । कैसा लगा यह प्रकार कृपया मुझे जरूर बताईये ।
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श्लोक-----
कस्तूरी जायते कस्मात् ?
को हन्ति करिणां कुलम्?
किं कुर्यात्कातरो युद्धे?
मृगात्सिंहः पलायनम्।।"
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अर्थ---
कस्तूरी किससे उत्पन्न होती है?
हाथी के झुंड को कौन मारता है?
युद्ध में कायर मनुष्य क्या करता है?
हिरन से सिंह भागता है।।
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गूढार्थ---
पहले तीन प्रश्नों का उत्तर चौथे और अंतिम चरण में है ।
किन्तु अंतिम चरण का मजेदार अर्थ निकलता है।
" हिरन से डरकर सिंह भागता है "। पहले तीन के उत्तर ऐसे होगे।
( मृगात् + सिंह + पलायनम् )
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卐卐ॐॐ卐卐
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
।।सुभाषित रसास्वाद।।(३१)
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"अन्तरालापाः"( प्रश्न और उसका उत्तर )
संस्कृत काव्य में अन्तरालाप ये भी एक रंजक और मजेदार प्रकार है ।
एक श्लोक के चार चरण ( विभाग) रहते है । उसमें पहले तीन चरण में प्रश्न रहते है । और चौथे चरण में पहले तीन प्रश्न के उत्तर रहते है। और चौथे चरण को अलग से पढा तो , उसका अर्थ उपहासगर्भ तथा मजेदार निकलता है । कैसा लगा यह प्रकार कृपया मुझे जरूर बताईये ।
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श्लोक-----
कस्तूरी जायते कस्मात् ?
को हन्ति करिणां कुलम्?
किं कुर्यात्कातरो युद्धे?
मृगात्सिंहः पलायनम्।।"
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अर्थ---
कस्तूरी किससे उत्पन्न होती है?
हाथी के झुंड को कौन मारता है?
युद्ध में कायर मनुष्य क्या करता है?
हिरन से सिंह भागता है।।
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गूढार्थ---
पहले तीन प्रश्नों का उत्तर चौथे और अंतिम चरण में है ।
किन्तु अंतिम चरण का मजेदार अर्थ निकलता है।
" हिरन से डरकर सिंह भागता है "। पहले तीन के उत्तर ऐसे होगे।
( मृगात् + सिंह + पलायनम् )
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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