Monday, December 9, 2019

Gratitudeless - Sanskrit Subhashitam

|| *ॐ*||
                        ||  *सुभाषितरसास्वादः*||
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                           || *कृतघ्ननिंदा* || (३४)
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*श्लोक*----
"  ब्रह्मघ्ने  च  सुरापे  च   चोरे   भग्नव्रते  तथा ।
निष्कृतिर्विहिता  लोके  कृतघ्ने  नास्ति  निष्कृतिः "।। ( *पञ्चतन्त्रम्* )
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*अर्थ*-----
अगर  ब्रह्महत्या  हुई   है   तो  उसको  प्रायश्चित  है ।  मद्यपान  या  चोरी  भी  की  है  या  व्रतभंग  भी  हुआ  है  तो  उसको  भी  प्रायश्चित  या  उपाय  होंते है ।  पर  कृतघ्नता  अक्षम्य  अपराध  है ।
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*गूढार्थ*----
सब  गलत   बातों  के  लिए  प्रायश्चित  या  उपाय  है  लेकीन  कृतघ्नता  के  लिए   नही ।  कृतघ्नता अक्षम्य  तथा  महत्पाप  है ।
जैसे  इतरत्र  किये  हुए  पाप  तीर्थों   में  धुल  जाते  किन्तु  तिर्थक्षेत्र  में  किया  हुआ  पाप  वज्रलेप  होकर  पिछा करता है ।
वैसे  ही  कृतघ्नता  का  है । कृतघ्न  व्यक्ति  कभी  सुख  नही  पा  सकता ।
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर
  पुणे / महाराष्ट्र
 


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