Wednesday, November 27, 2019

Good person words are like that of teeth of elephant - Sanskrit subhashitam

||ॐ||
" सुभाषित  रसास्वाद "(२४)
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" सज्जन-- प्रशंसा "
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श्लोक---
" दन्तिदन्तसमानं  हि  निःसृतं  महतां  वचः।
कूर्मग्रीवेण  नीचानां  पुनरायति  याति  च " ।।
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अर्थ---
महापुरुषों  के  वचन  ( शब्द) हत्ती  के  दांत  जैसे  होते  है ।  
हत्ती  का  दांत  बाहर  निकला  हुआ  और  स्पष्ट  दिखाई  देता  है ।
इसके  विपरीत  नीच  जनों  के  वचन (शब्द) होते  है ।
जो  कछुएं  के  समान  होते  है ।
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गूढार्थ---
सज्जनों  के  शब्द  और  वचन  यह  हांथी  दांत  के  समान  स्पष्ट  और  दृढ होते  है ।  जो  कभी भी  अपने  वक्तव्य  से  पलटते  नही  है ।
इसके  विपरीत नीच जनों  के वचन  और  शब्द  होते  है  जिसकी  तुलना  में  सुभाषितकार  ने  कछुएं  से  की  है । जो  अत्यंत  सार्थ  है  क्यों  की  कछुआ  अपनी  गर्दन  कभी  अंदर  तो  कभी  बाहर  रखते  है ।
वैसे  ही  नीच  लोग  कब  वचन  से  पलटेंगे  और  शब्द  बदलेंगे  इसका  कोई  भरोसा  नही  होता ।
अत्यंत   समर्पक  शब्दों  में  सुभाषितकार  ने  सज्जन  और  दुर्जन  का  भेद  स्पष्ट  किया  है ।
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर    
पुणे  /   महाराष्ट्र    

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