Wednesday, October 9, 2019

Sanskrit poem on Lal Bahadur Sastri

तैलं नास्ति गृहे च मुण्डितशिरो लालः प्रयात्याश्रमं
नावर्थं न धनं तथापि पठितुं तीर्त्वा नदीं गच्छति ।
सर्वोच्चेऽपि पदे यदैष गतवान् नम्रोऽति नेता बुधो
वीरं  लालबहादुरञ्च  शिरसा  सर्वे  नमामो वयम् ।।

------- मार्कण्डेयो रवीन्द्रः

        घर मे तेल नही था तो लाल बहादुर शास्त्री सिर मुंडवा कर ही गुरु के पास चले गए ।नाव मे बैठने के लिए पैसे नही थे,तैर कर नदी पार कर लेते थे ।देश के प्रधानमंत्री पद पर पहुंच कर भी ये विद्वान नेता विनम्र बने रहे ।उस वीर लाल बहादुर शास्त्री जी को हम सिर झुका कर प्रणाम करते हैं।

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