Wednesday, July 3, 2019

Hey Rahul ! - Sanskrit poem

रे  रे  राहुल! सावधानमनसा  मित्र !क्षणं  श्रूयतां
कृत्वा यत्नमनेकशः  सफलता  कार्येषु नो  प्राप्यते ।
उद्योगञ्च  तदा  हि कर्मठजनैः  क्षेत्रान्तरे युज्यते
त्यक्त्वाध्यक्षपदं  स्वकं दलहिते पात्रं पदे युज्यताम्।।

----मार्कण्डेयो रवीन्द्र:

       हे मित्र राहुल!  एकपल के लिए ध्यानपूर्वक मेरी बात सुनो। बार बार प्रयास करने पर भी यदि सफलता न मिले तो कर्मठ व्यक्ति को वह श्रम (ऊर्जा )किसी और क्षेत्र में लगानी चाहिए । अतः आप भी  दलहित मे अध्यक्ष पद छोड़कर किसी योग्य  (नेता )को इस पद पर बैठा दो ।

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