रे रे राहुल! सावधानमनसा मित्र !क्षणं श्रूयतां
कृत्वा यत्नमनेकशः सफलता कार्येषु नो प्राप्यते ।
उद्योगञ्च तदा हि कर्मठजनैः क्षेत्रान्तरे युज्यते
त्यक्त्वाध्यक्षपदं स्वकं दलहिते पात्रं पदे युज्यताम्।।
----मार्कण्डेयो रवीन्द्र:
हे मित्र राहुल! एकपल के लिए ध्यानपूर्वक मेरी बात सुनो। बार बार प्रयास करने पर भी यदि सफलता न मिले तो कर्मठ व्यक्ति को वह श्रम (ऊर्जा )किसी और क्षेत्र में लगानी चाहिए । अतः आप भी दलहित मे अध्यक्ष पद छोड़कर किसी योग्य (नेता )को इस पद पर बैठा दो ।
कृत्वा यत्नमनेकशः सफलता कार्येषु नो प्राप्यते ।
उद्योगञ्च तदा हि कर्मठजनैः क्षेत्रान्तरे युज्यते
त्यक्त्वाध्यक्षपदं स्वकं दलहिते पात्रं पदे युज्यताम्।।
----मार्कण्डेयो रवीन्द्र:
हे मित्र राहुल! एकपल के लिए ध्यानपूर्वक मेरी बात सुनो। बार बार प्रयास करने पर भी यदि सफलता न मिले तो कर्मठ व्यक्ति को वह श्रम (ऊर्जा )किसी और क्षेत्र में लगानी चाहिए । अतः आप भी दलहित मे अध्यक्ष पद छोड़कर किसी योग्य (नेता )को इस पद पर बैठा दो ।
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