वन्दे मातरम्!!!
नीत्वा प्रयातुमधुना किल कामयेऽहं
शत्रून् निहन्तुमखिलान् समरे भुशुण्डीम्।
संस्मारकं समरसञ्ज्ञकमद्य दृष्ट्वा
जातो युवास्मि हृदयेन मुहु: प्रवृद्ध:।।
**अरविन्द:।
हमारा भारतवर्ष धन्य है, जहॉं के देशभक्त वृद्ध जन का कहना सर्वथा समुचित है कि "समरस्मारक" को देखकर मैं आज युवा हो गया हूॅं। मन करता है कि हाथ में बन्दूक लेकर शत्रुओं पर टूट पडूं।
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