Wednesday, March 13, 2019

On pulwama - Various collections in Sanskrit

दृष्ट्वापि हन्त निजमातृभुव: प्रवीरान्
           रक्ष:सुतच्छलवशादधुना प्रयातान्।
सर्वे स्वदेशतनया: प्ररुदन्ति जाने
          दन्दह्यते न वद कस्य जनस्य चेत:।। 1

ये स्वोदरार्थमिह शून्यसमस्तभावा
          निन्दन्ति दुष्टहृदयाश्च निपीय तोयम्।
सच्छासकं सपदि तान् निजदेशनेत्रं
          लोलुक्यते मृतमतीन् कुपितं समन्तात्।।2

ये ये सुखं मतमवाप्तुमिमे मुनीन्द्रा:
          निर्यान्ति नैजसदनाज्जननायकास्ते।
नैवाद्य भारतमहो अवलोक्य तांस्तान्
          रोरुद्यते मम मनो भुवि मौनिदेवान्।।3

गेहं ज्वलन्तमहहा रुचिरं  विमूढ:
          पश्यन् जलं क्षिपति नैव क एष नेता।
यातीव योऽपरपथेन तु याचमानो
         जाज्वल्यते मम मनस्तमिमं तु दृष्ट्वा।।4

हा हन्त हन्त महिता जननायिकेयं 
          नित्यं विनिन्दति कृतं जननायकस्य।
नो वक्ति भारतमहीं कुपितायमानां
         राराज्यते वदतु सा क्व गता विलुप्ता।।5

                          **अरविन्द:।
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वध्यात्समस्तान्हतकाँश्च शत्रून्,
      आतङ्किनस्तानधियुद्धभूमि।
क्रियात्स्वदेशं ह्यघराशिशून्यं
      भूयात्सुवीरेषु भवान्विशिष्टः।।
*महावीरसारस्वतः*

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सैनिकों का दिल से शुक्रिया
धन्यान्भारतवीरसैनिकसुतान्,बद्धाञ्जलिभ्यां हृदा
येषां शौर्यसमन्वितैः सुचरितैः, धन्यं सदा भारतं।
स्कन्धे गर्वमिमे वहन्ति सुतरां, वै भारतीयन्ननु,
तस्मान्नौमि सगर्वपूर्णमनसा,वीरांश्च सैनानिनः।।
                       ✒बुद्धिप्रकाशजांगिड़ः
         प्रशिक्षितस्नातकशिक्षकः(संस्कृतस्य)
     केन्द्रीयविद्यालयकेलांगः, लाहौलस्फीतिः
                                      हिमाचलप्रदेशः
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वन्दे मातरम्।        भारतमाता की जय!!

जागर्ति प्रहरी देशे गुडाकेश: परन्तप:।
नरेन्द्रोऽसौ महावीरो माननीयो विचक्षण:।।1

सिंहाक्रमणमालोक्य सारमेयकुलं द्रुतम्। 
कम्पते भयभीतं तत् सिंह: सम्मोदते सखे।।2

भारतं वीक्षसे दुष्ट नैवात्मानं विलोकसे।
वायसो गरुणं मूढो निहन्तुं किं प्रवर्तते??3

नृत्यतीव मनो मुग्धं दृष्ट्वा सैन्यपराक्रमम्।
आतङ्किनां विनाशं यत् शत्रुगेहेऽकरोत् सखे।। 4

नमो भारतवीरेभ्य: शासकेभ्य: पुन: पुन:।
यैस्तै: शत्रुविनाशाय क्रियते युद्धमद्भुतम्।। 5

               **अरविन्द:।
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शत्रुपक्षैः शिलापातः
स्वागतं कुसुमैः तदा ।
भवेच्छवोपरि शत्रोः
कुसुमं   तन्मतिर्मम।।

-मार्कण्डेयो रवीन्द्र:
  
    शत्रु  (पत्थरबाज )यदि पत्थर मारे तो उसका स्वागत फूलों से करो । परन्तु यह स्वागत उसके शव पर होना चाहिए ,ऐसा मेरा मानना है ।
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प्रतिशोधो  गृहीतश्च
थलवायुभटैः  खलु।
साम्प्रतं जलसेनायाः
बलं वीक्ष्यामहे पुनः।।

- मार्कण्डेयो रवीन्द्र:
       
         पहले थल सेना और अब वायु सेना के जवानों ने बदला लिया ।
अब शीघ्र ही जल सेना का शौर्य देखना चाहते हैं।
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नमोस्तु ते सैन्यदलप्रधान !
          नमो विमानै:खचरप्रवीणाः!
नमोस्तु ते भारतराष्ट्रनेतः!
          नमोस्तु ते भारत! गर्विदेश!
*डॉ.महावीरप्रसादसारस्वतः*
              सम्माननीय सैन्यदलप्रमुख!आपको नमन। विमानों से आकाशविचरणप्रवीण हे वीरों आपको नमन। भारतराष्ट्र के नायक! जनता की अभिलाषाकेन्द्र मोदीजी! आपको नमन। हे गर्वोन्नतमस्तक प्रिय भारत! तुम्हें नमन।
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