Wednesday, January 2, 2019

Saptarishi mahatmyam -Sanskrit sloka

|| *ॐ* ||
   " *सुभाषितरसास्वादः* " 
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    " *सप्तर्षिमाहत्म्य* " ( २९५ )
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    *श्लोक*----
  " मरीचिः अंगिराः अत्रिः पुलस्त्यः , पुलहः  क्रतुः ।
    वसिष्ठश्च  इति  सप्तएते  सन्ति  चित्र  शिखण्डिनः ।। "
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*अर्थ*-----
मरीच ,  अंगिरा ,  अत्री , पुलस्त्य ,  पुलह ,  क्रतु  और  वसिष्ठ यह  सात  चित्रशिखण्डी  (  सप्तर्षी )  है ।
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   *गूढ़ार्थ*---
  सप्तर्षी  उनके  कार्य  के  कारण  प्रसिद्ध  हुए  है ।  और  उनको  आकाश  में  स्थान  मिला  है ।  उनकी  कीर्ति  यावद्चन्द्रदिवाकर  रहनेवाली  ही  है ।
किन्तु  इन  सप्तर्षी  के  साथ  एक  तारा  अरूंधति  का  भी  है  ।  जिसे  उसके  बुद्धिमत्ता  के  साथ  ही  उत्तम  पत्नीव्रता  के  कारण  सप्तर्षी  में  स्थान  मिला  है ।  आज  भी  नवपरिणित  दाम्पत्य  को  कुलपुरोहित  अरूंधति   दर्शन  करने  के  बाद  ही  गृहस्थाश्रम  में  प्रवेश  करने  को  कहते  है ।  ऐसी  यह  सप्तर्षी  के  साथ  चमकनेवाली  अरूंधति  हमारा  कल्याण  करे ।
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ.  वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /  नागपुर  महाराष्ट्र 
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