|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *प्रहेलिकाः* " ( २९१ )
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*श्लोक*---
" कृष्णमुखी न मार्जारी द्विजिह्वा न च सर्पिणी ।
पञ्चभर्त्री न पाञ्चाली यो जानाति स पण्डितः ।। "
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*अर्थ*----
उसका मुख काला है पर वह बिल्ली नही है । उसको दो जिह्वा है पर वह नागिन नही है । उसको पांच पति है पर वह द्रौपदी नही है।
पण्डित ही इस प्रहेलिका का उत्तर दे सकता है ।
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*गूढ़ार्थ*---
Fountain pen
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / नागपुर महाराष्ट्र
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