Wednesday, January 9, 2019

Ajaat pakshaa iva - Bhagavata sloka in sanskrit

अजातपक्षा इव मातरं खगा:
स्तन्यं यथा वत्सतरा: क्षुधार्ता: ।
प्रियं प्रियेव व्युषितं विषण्णा
मनोऽरविन्दाक्ष दिदृक्षते त्वाम् ॥
(श्रीमद्भागवत ६। ११। २६)

'जैसे पक्षियों के पंखहीन बच्चे अपनी माँ की प्रतीक्षा करते हैं। जैसे केवल दूध पर निर्भर रहनेवाले भूखे बछड़े अपनी माँ का दूध पीने के लिये आतुर रहते हैं और जैसे विरहिणी पतिव्रता स्त्री अपने पति से मिलने के लिये उत्कण्ठित रहती है, वैसे ही हे कमलनयन ! मेरा मन भी आपके दर्शन के लिये छटपटा रहा है।

श्री शंकराचार्य संस्कृत महाविद्यालय द्वारका

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