Monday, December 24, 2018

Sanskrit puzzle

 || *ॐ* ||
    " *सुभाषितरसास्वादः* " 
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     " *प्रहेलिकाः* " ( २८० )
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   *श्लोक*---
   साक्षरं रञ्जकं ज्ञानि , प्रातः सर्वैः प्रतीक्ष्यते ।
    अन्येद्युर्विपरीतं च , कोणे  क्षिप्तमनादरात्  ।।  "
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   *अर्थ*----
    मैं  साक्षर  हूँ , रञ्जक  भी  हूँ ,  ज्ञानी  भी  हूँ ।  और  प्रातःकाल  लोग  सब  मेरी  प्रतीक्षा  करते  है ।  किन्तु  दूसरे  दिन  सब  विपरीत  होता  है  यह  लोग  मुझे  अनादर से कोणे  में  फेंक  देते  है ।
   तो  मैं  कौन हूँ ?
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  *गूढ़ार्थ*---
वार्तापत्रम्‌  
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /  नागपुर  महाराष्ट्र 
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