Friday, December 14, 2018

Sanskrit puzzle

|| *ॐ* ||
   " *सुभाषितरसास्वादः* "
     " *प्रहेलिकाः* " ( २७३ )
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    *श्लोक*---
   " शतशतहस्तः  शतशतपादः , तृणमिववर्णश्चरणप्राशः ।
    अशनं , वसनं , छाया , वित्तम् , सकलं  सकलं  मत्तः प्राप्तम् ।।
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   *अर्थ*----
    मुझे  सौ  सौ  हाथ  है  और  सौ  सौ  पैर  है ।  घास  के  जैसा  मेरा  वर्ण  है  और  घास  मेरे  चरणों  में  रहती  है ।  भोजन , वस्त्र,  छाया  और  धन  आप  लोगों  को  मुझसे  ही  प्राप्त  होता  है ।
   तो  मैं  कौन हूँ  ?
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   *गूढ़ार्थ* -----
 ब्रूहि त्वं ब्राह्मी 🙂  
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ.  वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /  नागपुर   महाराष्ट्र 
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