Monday, December 3, 2018

5 things should be slow-Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
   " *सुभाषितरसास्वादः* " 
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   " *सामान्यनीति* " ( २६३ )
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*श्लोक*---
  " शनैः पन्थाः  शनैः कन्थाः शनैः पर्वतमस्तके ।
   शनैः विद्या , शनैः वित्तं पञ्च एतानि  शनैः शनैः ।।  ( चाणाक्य नीतिशास्त्र)
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*अर्थ*---
  प्रवास  का  मार्ग  धीरे २ आक्रमण  करना  चाहिये ।  रजाई  धीरे २ सिनी  चाहिए ।  पर्वत  शिखर  पर  धीरे २ चढना  चाहिए ।  कोई  भी  विद्या  धीरे २ सिखनी  चाहिये।  और  धन  भी  धीरे २ ही अर्जित  करना  चाहिए ।
यह  पांच  चीजे  धीरे २ ही  करनी  चाहिए ।
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*गूढ़ार्थ*---
  प्रवास  का  मार्ग  धीरे  धीरे  ही  चलना  चाहिए  वर्ना  थक  जायेंगे  तो  आगे  अपने  स्थान  तक  पोहचना  मुश्किल  हो  जायेगा ।  रजाई  भी  धीरे धीरे सिनी चाहिए  वर्ना  सुई  चुभने  का  डर  रहता है ।  पर्वत  शिखर  सब धोके टालकर  और  रास्ता  देखकर  ही  चढना  चाहिए  वर्ना  फिसलने  का  डर  रहता  है ।  विद्या  हमेशा  ही  चिन्तन  मनन करके  धीरे धीरे  सिखनी  चाहिये । धन  भी  विचारपूर्वक  अच्छे  मार्ग  से  धीरे-धीरे अर्जित  करना  चाहिए ।  
यहाँ  पर  कन्था  का  एक  और  अर्थ  है  और  वह  है  संन्यास ।
मतलब  संन्यास  सोच  विचार  करके  ही  लेना  चाहिए ।  सब  ज़िम्मेदारी  खत्म  हो  गयी  है  तो  ही संन्यास  के  लिये  सोचना  चाहिए ।
समर्थ रामदास स्वामी ने  कहा  ही  है कि --
"  आधी  प्रपंच  करावा  नेटका ।  मग  परमार्थ  घ्यावा  विवेका ।। "
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  / नागपुर  महाराष्ट्र 
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