|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *प्रहेलिका* " ( २१३ )
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*श्लोक*----
" चत्वारो वै नृपास्तेषां
तथा राज्ञीचतुष्ट्यम् ।
अवशिष्टाः प्रजा सर्वाः
अतिरिक्तो विदूषकौ ।। "
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*अर्थ*----
चार राजे है , उनकी चार रानियां है ।
बाकी सब प्रजाजन है और अतिरिक्त विदूषक भी है ।
तो यह क्या है ?
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*गूढ़ार्थ*-----
गंजीफा ( ताश के पत्ते )-----------------------------------------
*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / नागपुर महाराष्ट्र
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