"उत्तमस्य क्षणं कोपो मध्यमस्य प्रहरद्वयं |
अधमस्य त्वहोरात्रे पापिष्ठो नैव मुञ्चति ||"
"उत्तम श्रेणी के व्यक्तियों को किसी कारण वश क्रोध आता है तो वह क्षण मात्र तक ही रहता है। मध्यम श्रेणी के व्यक्तियों का क्रोध दो प्रहर (छः घण्टे) तक ही रहता है, तथा निम्न श्रेणी के व्यक्तियों का क्रोध एक दिन और एक रात पर्यन्त ही बना रहता है। परन्तु जो पापी और निकृष्ट व्यक्ति होते हैं, क्रोध उनका साथ कभी भी नहीं छोडता है, अर्थात वे सदैव क्रोधित ही रहते हैं ।
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