नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गतिः ।
नास्ति मातृसमं त्राण, नास्ति मातृसममा प्रिया ।।
अर्थात
माता के समान कोई छाया नहीं है, माता के समान कोई सहारा नहीं है, माता के समान कोई रक्षक नहीं है और माता के समान कोई प्रिय चीज नहीं है ।
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