Monday, July 9, 2018

Shiva is a tree without leaves & branches-Sanskrit subhashitam

|| ॐ ||
    " सुभाषितरसास्वादः "
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    " अर्थचमत्कृति " ( १३२ )
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   श्लोक----
   " स्वयं स्थाणुरपर्णा  स्त्री  विशाखस्तनयः  स्मृतः ।
    तथापि  कुरुते  छायां  भवतापापहारिणीम् " ।। 
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अर्थ-----
   शंकर  स्वयं  स्थाणु  , पत्नी  अपर्णा ,  मुलगा  विशाख ।  किन्तु  यह  स्थाणु  छाया  ऐसी  देते  है  कि  भवताप  शांत  हो  जाता  है ।
बाकी  वृक्ष  जिनको  बहुत  सारी  शाखायें  होती  है  वह  भी छाया  देते  है  वह  देहताप  शांत  करते  है  किन्तु  भवताप  केवल  स्थाणु  ही  शांत  करता  है ।
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गूढ़ार्थ---
  स्थाणु=(१) शंकर  का  एक  नाम ;( २)पेड  का  बुंधा । ( जिसको  पत्ते  और  शाखा  नही  रहती ) अपर्णा = (१)पार्वती  का  एक  नाम ; (२) पर्णहीन।
विशाख =(१) कार्तिक  स्वामी ;(२) शाखा  जिसको  नही  होती ।
शंकर  स्वयं  स्थाणु ( केवल बुंधा ) पत्नी  पर्णहीन  लड़का  विशाख  जिसको  शाखायें  नही  है ।  तो  भी  यह स्थाणु की  छाया  भवताप हरण  करती  है । बहुत सारे  शाखा वाले  और हरे-भरे  पर्णवाले  वृक्ष  केवल  देहताप  शांत  करते  है ।
भगवान  शिव  की महिमा  अगाध  है ।
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे / नागपुर  महाराष्ट्र 
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