|| *ॐ* ||
" *वन्देसंस्कृतमातरम्* "
-------------------------------------------------------------------------------------
" *लौकिकन्यायकोशः* " ( ७८ )
-------------------------------------------------------------------------------
" *नरसिंहन्यायः* "
-----------------------------------------------------------------------------
नरसिंहावतारे नरस्य सिंहस्य च संयुक्तं रूपं दृश्यते । तथैव एकस्मिन् मनुष्ये मनुष्यत्वं , सिंहस्य इव क्रुरत्वादिकं च भवति चेत् नरसिंहन्यायस्य प्रयोगो भवति ।
अलङ्कारशास्त्रे संकरालङ्कारस्य विवेचनसमये अस्य न्यायस्य क्षीरन्यायस्य च प्रयोगः क्रियते ।
*यथा*---
व्यक्ता च संसृष्टिर्नरासिंहवदिष्यते ।
चित्रवर्णवदन्यस्मिन् नानालङ्कारसङ्करे ।। ( सरस्वतीकण्ठाभरणे पृष्ठं २७२ ) ।
-------------------------------------------------------------------------------------
*卐卐ॐॐ卐卐*
--------------------------------
डाॅ . वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / नागपुर महाराष्ट्र
--------------------------------------
🍉🍉🍉🍉🍉🍉🍉🍉🍉🍉🍉🍉🍉🍉🍉
No comments:
Post a Comment