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पद्मपुराणे श्रीकृष्ण वाक्य अर्जुन प्रति
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*चत्वारः पठिता वेदास्सर्वे यज्ञाश्च याजिताः ।*
*त्रिलोकी मोचिता तेन राम इत्यक्षरद्वयम् ।।*
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चारों वेदो के शाखा अंग उपांग समेत उसने अनन्त बार पाठ कर लिया और समस्त यज्ञो को विधि सहित उसने अनन्त बार कर लिया और तीनों लोको के जीवन को दुख जाल से उसने छुड़ा दिया जिस बड़भागी के मुखचन्द्र से भली भाँति दो वर्ण अभिराम (श्रीरामनाम) उच्चारण हुआ उसने सब कृत्य भाव समेत अनन्त बार कर लिया ऐ सत्य जानो ।।
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शुभरजनी
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🙏नमो नमः सर्वेभ्यः
*🙏राम राम🥀🌻*
*कुलदीप✍🥀*
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