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*क्षुते निष्ठीविने स्वापे परिधानेऽश्रुपातने ।*
*पञ्चस्वेतेषु नाचामेद्दक्षिणं श्रवणं स्पृशेत् ।।*
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''छींकने पर, थूकने पर, दांतों से उच्छिष्ट छू जाने पर, मुख से असत्य बात निकलने पर तथा पतितों के साथ बातचीत होने पर शुद्ध होने के लिये दाहिने कान का स्पर्श करना चाहिये ।''
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