आनोभद्राक्रतवोयन्तुविश्वतः
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"आनो॑भ॒द्राक्रत॑वोयन्तुविश्वतः"
न: (हमारे लिए), विश्वत:(सभी ओर से),भद्रा:( कल्याणकारी) , क्रतव:(विचार), आयन्तु(आयें) ।
(हे प्रभु ! हमें सब ओर से कल्याणकारी विचार प्राप्त हों। अर्थात् सद्विचार सभी दिशाओं से हमारे पास आयें।)
यह सूक्ति कइयों के लिए सुपरिचित होगी । यह ऋग्वेद की एक ऋचा का अंशमात्र है और इसका अर्थ सामान्यतः कुछ इस प्रकार लिया जाता हैः
"उत्तम विचार हमें चारों ओर से प्राप्त हों।"
ऋग्वेद की संबंधित ऋचा का मूल पाठ यों है –
आ नो॑ भ॒द्राः क्रत॑वो यन्तु वि॒श्वतोऽद॑ब्धासो॒अप॑रीतास उ॒द्भिद॑: ।दे॒वा नो॒ यथा॒ सद॒मिद्वृ॒धेअस॒न्नप्रा॑युवो रक्षि॒तारो॑ दि॒वेदि॑वे ॥
–ऋग्वेद 1/89/1
आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः।देवानो यथा सदमिद्वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवेदिवे ॥
अन्वयः
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यथा ये विश्वतो भद्राः क्रतबोऽदब्धासोऽपरीतास उद्भिदोऽप्रायुवो देवाश्च नः सदमायन्तु तथैते दिवे नोऽस्माकं वृधे रक्षितारोऽसन् सन्तु ॥
(आ नः भद्राः क्रतवः यन्तु विश्वतः अदब्धासः अपरि-इतासः उद्-भिदः । देवाः नः यथा सदम् इत् वृधे असन् अप्र-आयुवः रक्षितारः दिवे-दिवे ।)
भावार्थः
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यथा श्रेष्ठं सर्वर्तु कं गृहं सर्वाणि सुखानि प्रापयति तथैव विद्वांसो विद्याः शिल्पयज्ञाश्च सर्वसुखकारकाः सन्तीति वेदितव्यम् ।
हिन्दी अर्थ
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जैसे सब श्रेष्ठ सब ऋतुओं में सुख देने योग्य घर सब सुखों को पहुंचाता है वैसे ही विद्वान् लोग, विद्या और शिल्पयज्ञ सुख करनेवाले होते हैं, यह जानना चाहिये ॥
सायणाचार्यकृत भाष्य टीका एवं पं० रामगोविन्दत्रिवेदीकृत मन्त्रानुवाद (चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी) ग्रंथ में हिंदीमंत्रानुवाद इस प्रकार दिया गया है–
"कल्याणवाही, अहिंसित, अप्रतिरुद्ध और शत्रुनाशक समस्त यज्ञ चारों ओर से हमें प्राप्त हों या हमारे पास आयें । जो हमें न छोड़कर प्रतिदिन हमारी रक्षा करते हैं वे ही देवता सदा हमें परिवर्द्धित करें ।"
यह सरल अर्थ प्रचलित अर्थ से किंचित् भिन्न हैं । वास्तव में क्रतु (बहुवचन क्रतवः) शब्द के अर्थ शब्दकोश में यज्ञ तो दिया ही गया है, किंतु इसके अतिरिक्त प्रज्ञा, बुद्धि, शक्ति, योग्यता भी दिए गये हैं । जब शब्दों के एकाधिक अर्थ हों तो किसी कथन के सर्वाधिक उपयुक्त भावार्थ खोजना कठिन हो जाता है ।
(अपनी समझ के अनुसार संक्षिप्त प्रस्तुति। त्रुटियों के लिए क्षमा करेंगे क्योंकि विषय गंभीर है।)............ ........ *पंडित विजय शंकर मिश्र*🙏🌹
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