Tuesday, November 14, 2017

5 fires - Pancagni - Sanskrit

पन्चाग्न्यो मनुष्येण परिचर्याः प्रयत्नतः | 
पिता माताग्निरात्मा च गुरुश्च भरतर्षभ ||

श्लोकार्थ :- माता, पिता, अग्नि, आत्मा और गुरु इन्हें पंचाग्नी कहा गया है | मनुष्य को इन पाँच प्रकार की अग्नि की सजगता से सेवा-सुश्रुषा करनी चाहिए | इनकी उपेक्षा करके हानि होती है |

जय माँ आदिशक्ति - शुभ प्रभात

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