|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *नवरसवर्णनम्* " ( १६२ )
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" 🤣😃 *हास्यरसः* 🤣😃"
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*श्लोक*----
" असारे खलु संसारे सारं श्वशुरमन्दिरम् ।
हरो हिमालये शेते हरिः शेते महोदधौ " ।।
( धर्म विवेक ---- हलायुध )
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*अर्थ*-----
इस असार संसार में सच्चा आनंदपूर्ण स्थान अगर कौनसा होगा तो वह है , श्वशुर का घर ! श्वशुर के घर का सुख और वहाँ का आदरातिथ्य उसका वर्णन क्या किया जाय ? वहाँ के स्वागत का आनंद तो अवर्णनातित ! केवल मनुष्यों को ही नही तो देवों को भी श्वशुरगृह का आकर्षण है । देखो तो --- श्री शंभु महादेव अपने श्वसुर हिमालय इनके घर में रहता है तो श्री विष्णुभगवान् अपने श्वशुर समुद्र इनके घर पर ( क्षीरसागर में ) जाकर रहते है ।
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*गूढ़ार्थ* ------
हिमालय की कन्या पार्वती है इसलिये महादेव का श्वसुरगृह हिमालय है , जहाँ पर उनका नित्य निवास होता है । और लक्ष्मी समुद्र कन्या है और जहाँ पर विष्णु का नित्य निवास होता है वह है क्षीरसागर।
श्वशुर का घर ही अच्छा स्थान है रहने के लिये वर्ना तो बाकी संसार असार ही है ।
यह सुभाषित पढ़कर कही सब पुरुष लोग अपने - अपने श्वशुर के घर रहने के लिये ना चले जाये ??????? वर्ना --------
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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